छठ पर्व को हमारे यहा बहुत ही जोर शोर से मनाया जाता है, यह भारत के कई राज्यों में मनाया जाने वाला त्यौहार है | लेकन कई लोग इसके महत्व को नही जानते है, आज हम आपको छठ पर्व के बार में आपको सभी जानकारी प्रदान करेगे |
छठ पर्व क्यों मनाया जाता है
आपको बता दे की छठ का व्रत विशेष रूप से संतान की प्राप्ति और लंबी आयु की कामना के लिए किया जाता है। इस पर्व को स्त्री-पुरुष दोनों ही कर सकते हैं। यह व्रत कार्तिक मास में शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि पर नहाय-खाय से छठ पर्व का आरंभ हो जाता है | और षष्ठी तिथि को मुख्य छठ व्रत करने के बाद अगले दिन सप्तमी को उगते सूरज को जल देने के बाद व्रत का समापन किया जाता है।
इस वर्ष 8 नवंबर को नहाय-खाय से छठ व्रत का आरंभ हुआ है और 9 नवंबर को खरना किया गया, और 10 नवंबर षष्ठी तिथि को मुख्य छठ पूजन किया गया | यह 11 नवंबर सप्तमी तिथि को सूर्य को अर्घ्य देने के बाद खत्म हुआ है |
इस पर्व के दोरान सभी लोग सूर्य की उपासना करते है और उनकी पूजा करते है | इसमे उगते वह अस्त होते सूर्य को जल दिया जाता है। इसी के साथ छठ के महापर्व में छठी मैया के पूजन का विधान है।
कौन हैं छठी मईया
आपको बता दे की इसके पीछे धार्मिक मान्यता जुडी हुई है | छठ मईया को ब्रह्मा का मानस पुत्री कहा जाता है और कहा जाता है कि ये वही देवी हैं जिनकी पूजा नवरात्रि में षष्ठी तिथि को की जाती है, इसे ही छठ मय्या कहा जाता है | इनकी पूजा करने से संतान प्राप्ति व संतान को लंबी उम्र प्राप्त होती है, ऐसा माना जाता है | वही छठी मईया को सूर्य देव की बहन भी माना जाता है।
सूर्य को अर्घ्य क्यों दिया जाता है
इसमे पीछे भी एक पौराणिक कथा है, महाभारत काल में कर्ण जन्म सूर्यनारायण के द्वारा दिए गए वरदान के कारण कुंती के गर्भ से हुआ था। जिसको सूर्य पुत्र भी कहा गया है | सूर्यनारायण की कृपा से उन्हें कवच व कुंडल प्राप्त हुए थे | बताया जाता है की, कर्ण प्रतिदिन घंटों कमर तक पानी में खड़े रहकर सूर्य पूजा करते थे एवं उनको अर्घ्य देते थे। इसलिए आज भी छठ में सूर्य को अर्घ्य देने परंपरा चली आ रही है।
आपको बता दे की सूर्य को जल देने का ज्योतिष महत्व भी माना जाता है। इससे जातक की कुंडली में भगवान सूर्य नारायण की कृपा बनी रहती है और व्यक्ति को तेज व मान-सम्मान की प्राप्ति होती है। हमारे सेष में आज भी कई लोग सूर्य को सुबह सुबह जल चढाते है |