दिल्ली मेट्रो के नियमों के बदलाव को लेकर लोगो मे फुटा गुस्सा, कहा-

आधे-अधूरे लॉकडाउन से रुकेगा कोरोना?

दिल्ली मेट्रो के साथ ही बुधवार सुबह बसों में भी यह नजारा है। यलो अलर्ट के तहत बसें भी आधी सवारियां ले जा सकती हैं। इसने ज्यादा अफरातफरी मचा दी है। सीट पाने के लिए सोशल डिस्टेंसिंग के सारे नियम टूट रहे हैं। जो यात्री बस में चढ़ने के लिए धक्का-मुक्की कर रहे हैं, वे बाद में आधी सीटों के साथ पूरी सोशल डिस्टेंसिंग के साथ सफर कर रहे हैं। ऐसे में आधे अधूरे लॉकडाउन पर सवाल उठ रहे हैं।

मैं पाकिस्तान जा रही हूं… ऐसे तो हो गई नौकरी… दोपहर 11-12 बजे तक तो दफ्तर ही पहुंच पाऊंगा… यह कोई तरीका है भला… दिल्ली-एनसीआर में मेट्रो और बस का सफर फिर दर्द देने लगा है। मेट्रो की रफ्तार को कोरोना की नजर लग चुकी है। यलो अलर्ट के बाद राजधानी की यह लाइफलाइन आधी सवारियां लेकर निकल रही है। और यात्रियों का दर्द दोगुना हुआ जा रहा है।

खड़े-खडे झल्‍ला गए लोग

गाजियाबाद, नोएडा समेत दिल्ली के कई स्टेशन में बुधवार सुबह मेट्रो यात्रियों का दिन हताशा और झल्लाहट से भरा था। ऊपर लिखी लाइनें एक-एक घंटे लाइन में खड़े रहने के बाद उसी झल्लाहट से निकली हैं। सुबह-सुबह काम पर निकले लोग मेट्रो स्टेशन पहुंचे तो आधे से एक किलोमीटर लंबी लाइन उनका इंतजार कर रही थी। कई यात्री इसके लिए बिल्कुल तैयार नहीं थे। वे तय समय से ही निकले थे। ऑफिस के लिए लेट होने की टेंशन हताशा में बदलने लगी।

मेट्रो में आधी सीटें खाली, बाहर भीड़, फिर सोशल डिस्टेंसिंग का क्या मतलब?

यलो अलर्ट के प्रोटोकॉल के तहत दिल्ली मेट्रो कल दोपहर से आधी सवारियां भी ले जा रही है। सोशल डिस्टेंसिंग को बनाए रखने के लिए यात्रियों के खड़े होने की मनाही है। प्लैटफॉर्म पर सोशल डिस्टेंसिंग के नियम न टूटें, इसके लिए यात्रियों को स्टेशन के बाहर ही रोका जा रहा है। मेट्रो के अंदर यह तस्वीर सुहानी लगती है, लेकिन बाहर का नजारा देखने के बाद यह सब औपचारिकता से ज्यादा कुछ नजर नहीं आता है।

मेट्रो में आधी सीटें खाली लेकिन स्‍टेशन के बाहर लोगों का हुजूम

ऐसे में बुधवार सुबह मेट्रो के बाहर देखकर कुछ यात्री झल्लाए, तो उनकी पीड़ा समझ भी आती है। आधे-अधूरे प्रोटोकॉल खुद को धोखा देने जैसे ही लगते हैं। ध्यान देने वाली बात यह भी है कि दिल्ली में यलो अलर्ट के बाद ऑटो, कैब, रिक्शा, आरटीवी में यात्रियों की संख्या सीमित कर दी गई है, लेकिन गाजियाबाद, नोएडा में अभी यह सब लागू नहीं है। मान लिया जाए कि दिल्ली में इसका सौ फीसदी पालन भी हो रहा हो, तो भी जब गाजियाबाद, नोएडा से यात्री दिल्ली में काम करने पहुंचेंगे तो फिर क्या सुरक्षा का यह चक्र टूटेगा नहीं? पर फिलहाल दिल्ली में यही सब चल रहा है।

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