किस्मत के साथ यदि आपने लगन और मेहनत की तो यह आपको किसी भी मुकाम पर ले जा सकती है | आज हम आपको एक ऐसे व्यक्ति की कहानी बताने जा रहे है, जिसने 15 रूपए महीने की मजदूरी करते हुए करोड़ो की कम्पनी बना ली जानिए उस व्यक्ति की पूरी कहानी को ।
सुदीप दत्ता की कहानी :
इनका नाम सुदीप दत्ता है, जो पश्चिम बंगाल के दुर्गापुर के परिवार से सम्बंध रखता है। उनके पिता आर्मी में थे, लेकिन बदकिस्मती से वह 1971 में एक लड़ाई के दौरान शारीरिक दुर्बलता के शिकार हो गए। जिसके बाद उनके यहा कोई कमाने वाला नही था बस वही थे |
उनकी ४ बहन थी बहनों की जिम्मेदारी सुदीप जी के कंधों पर आ गई थी | उसके बाद 16 साल के इस लड़के को अपने दोस्तों की सलाह मानकर मुंबई काम की खोज में जाना पड़ा। यहा 15 रुपए महीने पर एक नौकरी करना शुरू की जिसके साथ उन्हें सोने की जगह भी मिली।
सुदीप जी पैसे बचाकर अपनी माँ को भी भेजा करते थे। लेकिन पैसे कमाना आसान न था, अपने घर से फैक्ट्री आने जाने के लिए वह रोज़ 40 किमी का रास्ता तय करते थे और भी बहुत-सी दिक्कतें थी।
सुदीप दत्ता मोटिवेशनल सक्सेस स्टोरी
जिस फैक्ट्री में सुदीप मजदूरी करते थे, उस फैक्ट्री के मालिकों ने फैक्ट्री नुक़सान के कारण बंद करने का फ़ैसला लिया। ऐसी स्थिति में हर कोई नया काम ढूँढेगा लेकिन सुदीप अलग थे। उन्होंने फैक्ट्री ख़ुद चलाने का फ़ैसला किया और 16000 रुपए की राशि जमा की। उसके बाद सुदीप जी ने फैक्ट्री के सात मजदूरों के परिवार की जिम्मेदारी ली। सुदीप को फैक्ट्री खरीदने के लिए सुदीप को दो साल का मुनाफा मालिकों को बांटने का वादा करना पड़ा क्योंकि 16000 की राशि बहुत कम थी। इस प्रकार सुदीप जी उसी फैक्ट्री के मालिक बने जिसके वह कभी मज़दूर थे।
यह एक एल्यूमिनियम पैकेजिंग इंडस्ट्री थी, उन्होंने अपने काम की गुणवत्ता को बनाए रखा जिससे उनके ग्राहक बढ़ते गए। सुदीप जी की मेहनत रंग लाई और कुछ समय बाद उनकी कंपनी की नेस्ले और बढाया , जिसके बाद उन्हें छोटे-छोटे ऑर्डर मिलना शुरू हो गए ।
आज उनकी यह कम्पनी एक जानी मानी कम्पनी है, और इसका करोड़ो का टर्नओवर है |