आज कोई किसी की मदद नही करना चाहता है, लेकन दुनिया में आज भी एसे कई लोग है जो दुसरो की मदद के लिए तेयार रहते है | आज हम आपको कुछ एसे ही लोगो के बारे में आपको बताने जा रहे है, जिन्होंने अन्य लोगो की दिल से मदद की है | वही आज असल मायने में सच्चे हीरो हैं, हम आपको उनके बारे में बताने जा रहे है |
1. सदायन
सदायन 75 साल के के अनपढ़ रह गए उन्होंने गांव में सुविधा के अभाव में इनके बच्चे भी पढ़ नहीं सके लेकिन सदायन आने वाली पीढ़ी को शिक्षित देखना चाहते हैं, इसलिए उन्होंने अपनी 2 एकड़ जमीन दान बच्चो के स्कूल के नाम कर दी |
2. IAS ऑफिसर \ IAS अफसर संतोष कुमार
विजय कुमार गोपालगंज, समस्तीपुर और औरंगाबाद जिले में AIM नाम से स्कूलों की शुरुआत की उन्होंने इसमे कई बच्चो को पढ़ने का जिम्मा अपने सर लिया है | उनके इस स्कूलों में 450 से ज्यादा बच्चे पढ़ रहे हैं, इसके साथ ही फ्री ट्यूशन फ्री और स्टडी मेटेरियल भी दिया जा रहा है | वह इस स्कूल का सारा खर्च भी स्वयं उठाते है |
3. डॉ सुबोध कुमार सिंह
यह एक प्लास्टिक सर्जन है, अभी तक हजारों बच्चों के चेहरे की मुस्कान वापस दी है, वह 37,000 बच्चों की मुफ्त सर्जरी कर चुके हैं उन्होंने 2002 में अपने पिता की याद में फ्री इलाज करना शुरू किया था, इसके साथ ही बच्चो की मुफ्त शिक्षा भी प्रदान करते है |
4. सिस्टर लिजी चक्कलकल
सिस्टर लिजी चक्कलकल अपने सहकर्मी के साथ मिलकर स्कूल में पढ़ने वाले गरीब बेघर बच्चों के सिर पर छत का इंतजाम कर दिया और उनोने शिक्षकों और सम्पन्न छात्रों के परिजनों से मदद लेकर बेघरों के लिए 150 घर बना कर एक नई मुस्कान पर्दान की है |
5. विष्णु तेली
मुंबई के बीएमसी में काम करने वाले विष्णु तेली अपने क्षेत्र के बच्चों के लिए कुछ खास करना चाहते थे, विष्णु अपनी तीन बेटियों के साथ अपने क्षेत्र जाते हैं और इलाके के गरीब बच्चों को पढ़ाते हैं और उनका पूरा खर्चा भी स्वयं वाहन करते है |
6. साईकांत वर्मा
यह आदिवासी बच्चों के लिए बिहार के प्रसिद्ध टीचर आनंद कुमार द्वारा संचालित सुपर 30 की तर्ज पर सुपर 60 कैंपस चलते है और यहा के सुपर 60 में पढ़ने वाले 40 स्टूडेंट्स आई आई टी और एन आई टी में एडमिशन पाने में कामयाब हो चुके हैं वह आगे भी अपनी इस क्लास को चलते रहे है |
7 सुनील जोस
यह एक प्राइवेट स्कूल के टीचर है, इन्होने अपने ग्रुप के साथ मिल कर अपने आसपास और गलियों में भीख मांगने वाले 50 बच्चों को गोद ले लिया है और उनकी फ्री शिक्षा का जिम्मा उठाया है | सुनील अब इन सभी बच्चों की शिक्षा और रात के भोजन का खर्च उठायेंगे इसके साथ ही बच्चों के लिए वैन की भी व्यवस्था की है जो उन्हें झुग्गी-झोपड़ियों से उनके स्कूलों तक ले जाएगी इस तरह से बच्चो के लिए एक नयी मुस्कान बनकर उभरे है |
8. दीपिका मिन्ज
यह झारखंड की एक बच्ची है, जिसने लॉकडाउन में जूनियर बच्चों को पढ़ाया, झारखंड के खूंटी में चांदपारा गांव की रहने वाली दीपिका मिन्ज क्लास 7 की स्टूडेंट है | इतनी कम उम्र में भी इस बच्ची के अंदर परोपकार की भावना भरी हुई है जिसकी आज सभी सरहाना कर रहे है |
9. राजकिशोर सिंह
एक तरफ जहां मृत्यभोज में लोग दूसरों को खाना खिलाने के लिए एक दिन के लिए लाखों खर्च देते हैं वहीं बिहार के बेगूसराय के मोहनपुर गांव में रहने वाले राजकिशोर सिंह ने एक नई मिसाल पेश की. उन्होंने अपनी मां के निधन के उनकी तेरहवीं में लोगों को खाना खिलाने की बजाए गांव में जर्जर हो चुके हाईस्कूल की बिल्डिंग को बनवाने के लिए 10 लाख रुपये दे दी. खाना खाने के बाद लोग दूसरे दिन राजकिशोर के भोज को भूल जाते लेकिन उन्होंने ने जो किया उसके बाद उन्हें हमेशा याद रखा जाएगा।
10. ज्ञान राज
झारखण्ड के रांची के छोटे से गांव पिस्का के रहने वाले ज्ञान राज अपने गांव के बच्चों को वैज्ञानिक बनाने का सपना देख रहे हैं, जिसके लिए वह काफी मेहनत भी कर रहे है | वह इन बच्चों को छोटी सी उम्र में ड्रोन टेक्नॉलजी से लेकर रोबोटिक्स तक की जानकारी दे चुके हैं ।
11. विकास चंद्र श्रीवास्तव
विकास झारखंड में डीएसपी के पड़ पर तेनात है ओर ये अपने क्षेत्र के युवाओं के बीच ‘गुरुजी’ के नाम से भी जाने जाते हैं. वह एक लाइब्रेरी में बच्चों को पढ़ाते रहे हैं | इस समय उनके पास 4000 बच्चे रजिस्टर्ड है जिन्हें वह पढ़ा रहे है और आगे और भी इनसे अच्छे जुड़ रहे है |
इन 11 लोगो ने आज समाज में एक नई दिशा प्रदान की है, जिसकी आज सभी सरहाना कर रहे है |