आतंकी हमले में अक्सर किसी की मांग सुनी होती है किसी का बेटा अपनी माँ को अकेला छोड़ जाता है एक जवान अपनी धरती माँ के लिए कुर्बान हो जाता है पर आतंकियों को इस बात से क्या मतलब है कि वो किसी की मांग उजाड़ रहे हैं या किसी बूढ़ी माँ को उसके बेटे से अलग कर रहे हैं उनका सिर्फ एक ही उसूल है और वो है आतंक फैलाना हालांकि ऐसा नहीं है कि हमारे जवान ही शाहिद होते हैं बल्कि वो देश की रक्षा में जाने कितनों को उनके अंजाम तक पहुचा कर ही इस धरती माँ को छोड़ते हैं.
बताते चलें कि, सोमवार (11 अक्टूबर) को जम्मू-कश्मीर के पुंछ जिले में हुए आतंकी हमले में पांच जवान शहीद हो गए, जिसमे रोपड़ के रहने वाले सिपाही गज्जन सिंह (Gajjan Singh) भी शामिल थे। बुधवार 13 अक्टूबर जब उनकी अंतिम यात्रा निकली तब उनकी बीवी का रो-रोकर बुरा हाल था। वह पति से बिलखते हुए बार-बार सिर्फ एक ही बात कह रही थी ‘ओए उठ जा… मैंनू तो देख ले एक वारी…’ पत्नी की यह हालत देखकर वहां मौजूद हर शख्स की आंख नम थी।
इसी साल दोनो ने खाई थी साथ जीने मरने की कसम
बताते चलें कि, 23 सिख रेजिमेंट के जवान गज्जन सिंह ने इसी वर्ष फरवरी में हरप्रीत कौर संग शादी रचाई थी, दोनों ने साथ जीने-मरने की कसमें खाई थी। दोनों की शादी रोपड़ में ही बड़ी धूमधाम से हुई थी। दूल्हा बने गज्जन सिंह की शादी भी बहुत अनोखी हुई थी लोग खूब तारीफे कर रहे थे.
दरअसल अपनी बारात में गज्जन सिंह किसान यूनियन का झंडा लिए आए थे। उनकी यह तस्वीरें सोशल मीडिया पर खूब वायरल हुई थी। यहां तक कि वे अपनी शादी में दुल्हन को ट्रैक्टर पर बैठाकर लाए थे। उनके निधन के बाद पति-पत्नी की यह तस्वीरें एक बार फिर इंटरनेट पर चर्चा का विषय बन गई है।
किसको पता था वो आखिरी मुलाकात होगी.
किसको पता था कि गज्जन सिंह से उनकी आखिर मुलाकात होगी बता दें कि दो महीने पहले गज्जन सिंह के भाई की शादी थी जिसमे गज्जन सिंह आये थे और पूरा परिवार उस समय साथ था सबके साथ उन्होंने अच्छा वक़्त गुज़ारा था हालांकि किसको पता था कि उनकी सबके साथ ये आखिरी मुलाकात होगी ये मस्ती मज़ाक सबके साथ आखिर होगा मंगलवार 12 अक्टूबर दोबारा वो घर तो आये लेकिन उनके शरीर मे जान नहीं थी उनका पार्थिव शरीर तिरंगे में लिपटा हुआ था.
जब पति का पार्थिव शरीर हरप्रीत ने देखा तो उसकी आंखों में आशु आ गए वह बस उसे निहारती रही। नम आंखों से हरप्रीत अपने पति से पंजाबी में बार-बार बस यही कहती रही कि ‘ओए उठ जा… मैंनू तो देख ले एक वारी…
शहीद गज्जन सिंह की अंतिम विदाई को भीड़ इकट्ठा हो गई घंटो लगा था शहीद की अंतिम विदाई के लिए लोगों का हुजूम लोग अंतिम दर्शन करना चाहते थे आने रियल हीरो को आखिरी बार देखना चाहते थे जिसके लिए भीड़ आयी थी हालांकि इस दौरान उनके पिता चरण सिंह की तबियत भी गड़बड़ थी वो खुद अपने आपको अपने बेटे के गम से नहीं बाहर नहीं निकल पा रहे थे, जिस वजह से वो अपनी बहू को भी संभाल नहीं पा रहे थे. जैसे तैसे करके अपने वीर शहीद बेटे की अंतिम विदाई की रस्म पूरी की.
शहीद के अंतिम संस्कार में नहीं शामिल थी उनकी माँ.
शहीद गज्जन सिंह की माँ नहीं थी शामिल शहीद के अंतिम संस्कार में यहां तक कि उन्हें इस बात की जानकारी तक नहीं है कि अब उनका बेटा इस दुनिया मे नहीं रहा धरती माँ की रक्षा करते हुए शहीद हो गया बेटा उन्हें इसलिए भी नहीं बताया गया क्योंकि उनकी तबियत बहुत ज़्यादा खराब है और ये खबर वो बर्दाश्त नहीं कर पाएंगी जिसके कारण उन्हें ये बात नहीं बताई गई।