अगर परमाणु युद्ध हुआ तो 18 साल पीछे चली जाएगी दुनिया, वह भी सिर्फ 10 सेकंड में
युद्ध का नाम सुनते ही इस समय जहन में रूस और यूक्रेन का ही नाम आता है। जहां इस समय यह युद्ध छिड़े हुए हैं, गोलाबारी हो रही हैं। क्या हो?? जब आप सुबह सो कर उठे और जोरदार धमाका और पल भर में ही हजारों लाखों की मौत हो जाए और जो बचे हैं उनकी चमड़ी जल कर गिरने लगे। चारों तरफ धुंआ ही धूंआ और सन्नाटें को चीरती हुई रोती बिलखती आवाजें सुनाई दे।
ऐसा ही कुछ मंजर था, 1945 में दूसरे विश्वयुद्ध के दौरान जब अमेरिका ने जापान के हिरोशिमा और नागासाकी पर परमाणु हमला किया। यूक्रेन और रूस के बीच जारी जंग में अब फिर से परमाणु युद्ध का खतरा लोगों के दिलों में बैठ गया है। हालांकि लड़ाई लगभग निर्णायक मोड़ पर पहुंच चुकी है, लेकिन फिर भी अभी खतरा टला नहीं है। अमेरिका समेत पश्चिम देश यूक्रेन की मदद कर रहे हैं।
वहीं रूस के राष्ट्रपति पुतिन ने पहले ही अन्य देशों को चेतावनी दे रखी है कि अगर कोई बाहरी युद्ध के बीच में आता है तो अंजाम अच्छा नहीं होगा। इस चेतावनी को परमाणु युद्ध की धमकी से भी जोड़ा जा सकता है। जापान परमाणु हमले को झेल चुका है, या यूं कहें अभी तक झेल रहा है। ऐसे में यह युद्ध और भी तबाही लेकर आएगा।
परमाणु युद्ध हुआ तो क्या होगा
स्विट्जरलैंड की एक संस्था इंटरनेशनल कैंपेन टू अबॉलिश न्यूक्लियर वेपन (ICAN) इस संस्था को 2017 में नोबेल पीस प्राइज भी मिल चुका है। आईसीएएन के रिपोर्ट के अनुसार एक परमाणु बम झटके में लाखों लोगों के जाने जाती हैं। अगर ऐसे में यह 10 या सैकड़ों बम गिराए तो करोड़ों की मौत के साथ ही धरती का पूरा क्लेव्हाइट सिस्टम ही बिगड़ जाएगा।
इतना ही नहीं अगर किसी युद्ध में दुनिया में मौजूद 1% से भी कम परमाणु हथियारों का इस्तेमाल होता है तो इससे 20 करोड़ लोग भूखमरी के कगार पर पहुंच जाएंगे, साथ ही पूरा हेल्थसिस्टम तबाह हो जाएगा। जिससे घायलों का इलाज भी नहीं हो पाएगा। ग्लोबल वार्मिंग से जूझ रहे दुनिया में परमाणु युद्ध होने पर धरती का तापमान तेजी से कम होने लगेगा। इसका कारण है हमलों से उठने वाले धुएं धरती की सतह पर जम जाएंगे। ऐसा अनुमान है कि कम से कम 10% जगहों पर सूरज की रोशनी ही नहीं पहुंच पाएगी।
इतना ही नहीं दुनिया भर के ज्यादातर इलाकों में बारिश भी नहीं होगी।ग्लोबल रेनफॉल में 45 परसेंट की कमी आ जाएगी और धरती की सतह का औसतन तापमान 7 से 8 डिग्री सेल्सियस पहुंच जाएगा। इसकी तुलना करें तो 18 हजार साल पहले जब तापमान 5 डिग्री सेल्सियस था। यानी दुनिया 18 साल पीछे चली जाएगी। परमाणु बम जब गिरता है तो वह तबाही मचाने में केवल 10 सेकंड का समय लेता ,है लेकिन उसका असर दशकों तक रहता है। सालों बाद भी लोगों को ल्यूकेमिया, कैंसर और फेफड़ों से जुड़ी बीमारियों से जूझना पड़ेगा। इतना ही नहीं हजारों के ऊपर की संख्या में आंखों की रोशनी भी चली जाएगी।