आज हम आपको Dr. प्रकाश राव के बारे में बताने जा रहे है, जो रोज सुबह 4 बजे जगते हैं और कटक के बख्शीबाजार में उनकी एक छोटी सी चाय की दुकान है। 10 बजे दिन तक डी प्रकाश राव आपको यही मिलते है। वह 50 साल से चाय बेच रहे हैं। लेकिन उसके बाद वह गरीब बच्चो के पढ़ाने के लिए स्कुल चलाते हैं। यह अपनी दुकान से कमाए गए पैसे बच्चों के लिए चलाए जा रहे स्कुल में लगा देते हैं।
पद्मश्री सम्मान और ‘मन की बात’
गणतंत्र दिवस से एक दिन पहले ही शुक्रवार को देश में दिए जाने वाले ‘पद्म पुरस्कारों’ की घोषणा की गई। इसमें 4 हस्तियों को पद्म विभूषण, 14 को पद्म भूषण और 94 को पद्मश्री से सम्मान दिए जाने का ऐलान किया गया। इस लिस्ट में एक नाम डी. प्रकाश राव का भी है। इन्होने ओडिशा के कटक के रहने वाले डी. प्रकाश राव पहली बार चर्चा में तब आए थे, जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उनका नाम उनकी ‘मन की बात’ के कार्यक्रम में उनका जिक्र किया था।
खुद भी पढ़ना चाहते थे, लेकिन…
आपको बता दे की वह एक गरीब परिवार से है, उनके पिता भी यही दुकान चलाते थे। पिता ने दूसरे विश्व युद्ध में भी हिस्सा भी लिया था। कहते हैं कि इंसान खुद जिस चीज के लिए तरसता है, दूसरों को उस दर्द में कभी नहीं देखना चाहता। उन्हे पढाई करने के मौका नहीं मिला था, उन्हे पढ़ने का बहुत शौक था। लेकिन पिता चाहते थे कि प्रकाश राव काम में उनका हाथ बंटाए। इसलिए वह आज काम करने के बाद गरीब बच्चो को पढ़ाते है।
इनके स्कुल के बच्चो ने जीते गोल्ड मेडल
इस समय उनका स्कुल तीसरी तक है, उन्होंने साल 2000 में एक छोटा सा स्कूल खोल दिया जिसमे बच्चो को पढ़ाया जा रहा है । उन्होंने आसपास के लोगों से बात की और उन्हें बच्चों को स्कूल भेजने के लिए मनाया। इसके लिए कुछ शिक्षक भी नियुक्त किए और खुद भी थोड़ा बहुत पढ़ाने लगे। उनके स्कूल के बच्चे पढ़ाई में अव्वल आते हैं। और खेल की दुनिया में इन बच्चो का नाम है। 2013 में गोवा में हुए नेशनल विंड सर्फिंग कंपीटिशन में डी. प्रकाश राव के स्कूल के महेश राव ने छह गोल्ड मेडल जीते थे।
डॉक्यूमेंट्रीज भी बनी हैं, सम्मान भी मिला
डी. प्रकाश राव को मानवाधिकार दिवस पर 2015 की दिसंबर में ओडिशा ह्यूमन राइट कमीशन ने सम्मानित किया था। उनके द्वारा चलाये जा रहे स्कूल पर डॉक्यूमेंट्रीज भी बन चुकी हैं।