कोर्ट ने कही ये बात – 7 फेरे लेकर की गई शादी ही होगी लीगल, लव मैरिज पर किया यह फेसला।

7 फेरे लेकर की गई शादी ही होगी लीगल, लव मैरिज पर किया यह फेसला

आजकल ज्यादातर शादिया दो तरह से की जा रही है, पहली 7 फेरे लेकर और दूसरी लव मैरिज के द्वारा | लेकिन कोर्ट ने इस बार फेसला सुनाया है की फेरे लेकर की गयी शादी को ही वेध्य माना जाएगा |
आज कई लड़के, लड़की को घर से भागने जैसा कदम उठा रहे है, जिसमे वह भागकर शादी कर लेते है या मंदिर में जाकर भगवान को साक्षी मानकर एक दुसरे को माला पहना कर शादी कर लेते है, लेकिन प्रेमी जोड़ो के लिए अब यह बड़ी खबर आई है की इस तरह की शादी को नही माना जायेगा |

7 फेरे लेकर की गई शादी ही होगी लीगल, लव मैरिज पर किया यह फेसला

कोर्ट द्वारा बड़ा फैसला लिया गया है 

लव मैरिज को लेकर मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है | आपको बता दे की ग्वालियर खंडपीठ ने कहा कि सिर्फ माला पहनने से शादी नहीं हो जाती, उसके लिए पूरे विधि-विधान के साथ अग्नि के 7 फेरे लेने जरूरी हैं | तभी एक शादी वेध्य मानी जायेगी, कोर्ट ने यह टिप्पणी आर्य समाज मंदिर में शादी करने का दावा कर रहे मुरैना के कपल की सुनवाई के दौरान कीया है |

7 फेरे लेकर की गई शादी ही होगी लीगल, लव मैरिज पर किया यह फेसला

इस कपल ने शादी करने के बाद हाई कोर्ट से सुरक्षा मांगी थी | लेक्नी कोर्ट ने याचिका खारिज कर दी, क्योंकि, इसमें एक भी ऐसा साक्ष्य प्रस्तुत नहीं किया गया, जिससे पता चले कि प्रेमी-प्रेमिका को धमकी मिली है या वे पुलिस के पास गए |

यह मामला मुरैना निवासी 23 साल के लड़के ने 21 साल की लड़की के साथ 16 अगस्त को ग्वालियर के लोहा मंडी किलागेट स्थित आर्य समाज मंदिर में लव मैरिज की, आर्य समाज ने इस मैरिज का सर्टिफिकेट भी दिया |
उसके बाद इन्होने हाई कोर्ट में अपनी सुरक्षा को लेकर एक याचिका दायर की थी | इस दौरान याचिकाकर्ता ने तर्क दिया कि दोनों ने लव मैरिज की है | दोनों के परिजन झूठी शिकायतें कर रहे हैं, जिन पर कार्रवाई न की जाए |

कोर्ट ने सुनवाई के बाद खारिज की याचिका

इस पुरे मामले में कोर्ट में शासकीय अधिवक्ता दीपक खोत ने इस याचिका का विरोध किया, उन्होंने कहा कि याचिकाकर्ताओं ने इसके लिए किसी भी थाने में आवेदन नहीं दिया है | उन्हें यदि खतरा होता तो वह थाने में इसकी शिकायत करते लेकिन ऐसा नही किया | सीधे कोर्ट में याचिका दायर कर दी गई है, इसलिए यह याचिका सुनवाई योग्य नहीं लगती |

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