कादर खान एक बहुत ही कमाल के एक्टर रहे है, इनके अंदाज को आज कोई नहीं भुला सकता है। उन्होंने बॉलीवुड में हिंदू और उर्दू की कुल 300 से ज्यादा फिल्मों में काम कर लोगो का दिल जीता है। Bollywood Dynasty के द्वारा लिए गए एक इंटरव्यू में कादर खान ने अपनी काबूल से मुंबई की यात्रा को याद किया था, जिसमे उन्होंने कई बाते शेयर की थी।
उन्होंने इंटरव्यू में बताया की, साल 1942 की बात है, मेरे से पहले 3 भाई थे। लेकिन वह अपना जीवन ज्यादा नहीं जी पाए वे 8 साल की उम्र तक पहुंचे और वे गुजर गए। उनका नाम फजलुर रहमान था, दूसरे का नाम शम्स उर रहमान और तीसरे का नाम हबीबउर रहमान और फिर मैं था । रहमान नाम होने के पीछे की वजह उन्होंने बताया की मेरे पिता का नाम अब्दुल रहमान था जिसके कारण यह नाम रखे गए।
भारत आने की कहानी दिलचस्प
मेरी मां ने मुझसे बचपन में कहा की, मेरे बच्चों के लिए अफगानिस्तान सही जगह नहीं है। मैं यहां से जाना चाहती हूं, मुझे यहां से ले चलो, लेकिन, हम कहां जाते मेरा परिवार काफी गरीबी में जी रहा था। हमारे पास खाने के लिए भी पैसे नहीं थे। लेकिन, मां के सख्त आदेश पर पिता ने हमें एक मिलिट्री कन्वॉय में बैठाया और उसके बाद हम भारत आ गए। जहा में मुंबई पहुंचा।
कमाठीपुरा की गंदगी में गुजारा बचपन
हम कमाठीपुरा के एक स्लम एरिया में रहते थे और म्युनिसिपल स्कूल में एडमिशन मिल गया था। एक बार स्कूल में एक लड़के ने कहा, तुम सिर्फ अपनी मां के कहने पर यहां क्यों पढ़ते हो, चलो फैक्ट्री में काम करो और कुछ पैसे कमाओ। जिससे तुम अपने घर के लिए खाना ला सकते हो। जिसके बाद मेने काम करना शुरू कर दिया।
मेरा घर तीसरे फ्लोर पर था, मैं नीचे उतर ही रहा था कि मां ने कंधा पकड़ लिया। उन्होंने कहा की मुझे पता है कि तुम कहां जा रहे हो. तुम उनके साथ रोज का 4-5 रुपये कमाने जा रहे हो। ये पैसे हमारे घर में न तो खुशियां लाएंगे न ही खाना। इसलिए तुम पहले अपनी पढाई पूरी करो।
फिल्मी करियर की शुरुआत
जिसके बाद उन्होंने अभिनय के लिए काम शुरू किया, कादर खान ने राजेश खन्ना के साथ दाग फिल्म के साथ अपने करियर की शुरुआत की थी। इसके बाद मिस्टर नटवरलाल, खून भरी मांग, दिल दिवाना ने उन्हें विशेष पहचान दी। उसके बाद वह अपने जीवन में आगे बढ़ते गए और आज उन्हें सभी जानते है।