सफलता पैसे की मोहताज नही होती है, इसके लिए आपको कड़ी मेहनत और लगन से काम करने की जरूरत होती है | इस बात को एक किसान की बेटी ने इन दिनों सच करके दिखाया है | आपको बता दे की मध्यप्रदेश की एक बेटी जो गरीब परिवार से है और एक मजदूर की बेटी है | संघर्ष करते हुए पढ़ी और आज जब उसे कामयाबी मिल गई तो उसके गांव का हर व्यक्ति उसकी सफलता का जश्न मना रहा है |
पूरा गांव सफलता में झूम उठा |
MP के एक गांव के लोग खुशियां मना रहे हैं, खुशी का कारण उनके गाँव की एक मजदूर की बेटी है | उनकी बेटी का चयन सशस्त्र सीमा बल (एसएसबी) में हुआ है | ये जानकारी जब गांववालों को मिली तो वे सब भी गांव की बेटी की इस सफलता से झूम उठे | गांव वाले गांव की इस बेटी के चयन से इतना खुश थे कि उसकी घर वापसी पर ढोल-नगाड़ों के साथ उसका जोर शोर से स्वागत किया गया | यह खबर मध्य प्रदेश के राजगढ़ जिले में स्थित पिपलिया रसोदा गांव की है | जहा की बेटी का नाम संध्या है और उसने 27 साल की उम्र में इस पड़ पर चयन हुआ है | इसके लिए संध्या ने बच्चों को ट्यूशन पढ़ा कर अपनी पढ़ाई पूरी की है | इसके साथ ही संध्या खेती के काम में अपने पिता की मदद भी करती थी |
हाल ही में ट्रेनिंग से लोटी है –
#MPTak Watch Sandhya Bhilala, daughter of a farmer in MP’s Rajgarh district,welcomed with drums, tilak and flowers ,when she came clad in Sashastra Seema Bal (SSB) uniformhttps://t.co/UJqW0dluwK
— Bishwajeet (@Bishwajeet_wins) December 21, 2021
संध्या का चयन एसएसबी में इसी साल अप्रैल में हुआ था, इससमय वह ट्रेनिंग में लंबा समय बिताने के बाद अपने पैतृक गांव पिपलिया रसोदा लौटी हैं | संध्या मानती हैं कि लड़कियों को कभी हार नहीं माननी चाहिए और अपने लक्ष्य को हासिल करने के लिए लगातार मेहनत और संघर्ष जारी रखना चाहिए |
गाँव वालो ने किया भव्य स्वागत –
जब वह गांव लौटी तो उसने एसएसबी की यूनिफॉर्म पहन रखी थी | गांव के लोग अपने गांव की बेटी को इस वर्दी में देख कर बहुत खुश थे और उसको सभी ने फुल माला पहनाई और ढोल नगाड़ों के साथ उसका स्वागत किया | इसके साथ ही उसको घोड़े पर बिठाया, संध्या के स्वागत का ये वीडियो अब सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है | जिसे अन्य लोग भी देखकर इस लड़की की तारीफ कर रहे है |
संध्या जब हिंदी साहित्य में पोस्ट ग्रेजुएशन कर रही थी तो घर की आर्थिक तंगी के कारण उसके पास फीस देने के लिए पैसे नहीं थे, ऐसे में उसने बच्चो को ट्यूशन पढ़ा कर अपनी फीस का इंतजाम किया | और आज उसने इस मुकाम को पाकर समाज में मिसाल कायम की है |