नदी में जो फेका जाता था फुल उससे खड़ा किया बिजनेस, आज दो करोड़ का होता है टर्न ओवर

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आज के समय में हर व्यक्ति बिजनेसमैन बनना चाहता है,बिजनेसमैन बनना कोई आसान काम नहीं है, इसके लिए काफी तगड़ी रिसर्च और कड़ी मेहनत का होना जरूरी है, अगर यह सारी चीज आप में उपलब्ध है तो आपको बिजनेसमैन बनने से कोई नहीं रोक सकता।

आपके पास अगर काफी पैसे है, और आप सोच रहे हैं कि आप एक बिजनेसमैन बन जाएंगे तो यह एकदम असंभव बात है, क्योंकि बिजनेस शुरू करने के लिए एक जबरदस्त आइडिया का भी होना जरूरी है, अगर आपका आईडिया सही है तो आप कम लागत में भी एक सफल बिजनेसमैन बन सकते हैं।

सोशल मीडिया पर ऐसी ही एक खबर काफी तेजी से वायरल हो रही है जिसमें दो कानपुर के युवकों ने एक जबरदस्त आईडिया तथा कम लागत से एक सफल बिजनेसमैन बनकर दिखाया।

उन दो युवकों के अनुसार 2014 में बिठूर में मकर संक्रांति के दिन गंगा तट पर बने मंदिर मे यह दोनों मित्र दर्शन के लिए गए। तभी उनकी निगाह लोगों द्वारा गंगा जी में प्रवाहित फूल पत्तियों पर पड़ी, यह फूल पत्ती कुछ दिन के बाद सड़ जाती है जिसकी वजह से गंगा जी का भी पानी प्रदूषित हो जाता है, वही पानी लोगों को पीता देख उन दोनों मित्रों को बहुत बुरा लगा, तभी उन्होंने निर्णय किया कि इस नदी के पानी को प्रदूषित होने से हमें बचाना है ।

इसके लिए दोनों दोस्तों अंकित और कर्ण ने अपनी पुरानी नौकरी छोड़ दी और 2015 में 72000 की कम पूंजी के साथ हेल्प अस ग्रीन नाम की एक कंपनी शुरू की।, कंपनी के संस्थापक अंकित अग्रवाल का कहना है कि कानपुर से 25 किलोमीटर दूर भाटी ग्राम में उनका ऑफिस है, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की स्वच्छता अभियान के तहत शहर के 25 मंदिर से लगभग रोज वह 800 किलो फेंके हुए फूल इकट्ठा करते हैं, और फूलों की सहायता से जैविक वर्म कंपोस्ट में उन्हें बदलते हैं, इससे खर्चा भी काम आता है।

वही हेल्प अस ग्रीन में तुलसी के बीज से बने कागज के अगरबत्ती को बेचना शुरू किया।
उनकी कंपनी 20000 वर्ग फुट में फैली हुई है यहां अगरबत्ती भी बनाई जाती है कानपुर कन्नौज और उन्नाव के अलावा कुछ और जगहों पर इनका कारोबार फैला हुआ है।
उनकी कंपनी हेल्प अस ग्रीन से बेरोजगारी भी काफी हद तक दूर हुई है इसमें करीब 70 से अधिक महिलाएं काम करती है, जिन्हें प्रतिदिन ₹200 की मजदूरी पर काम दिया जाता है, इस प्रकार एक कंपनी की सालाना इनकम ₹2 करोड़ से अधिक है।

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