तेरा तुझको अर्पण क्या लागे मेरा

AMRIT MAHOTSAV

राष्ट्र की आराधना ही कर्म मेरा..

मातृभू की सेवा करना धर्म मेरा..

व्योम तक जाने का साहस साथ लेकर..

भारती के चरणों तक मेरा बसेरा..

क्रांति की अमर कहानी समेटे हुए यह भारत, शांति के उद्गम स्थल को भी समाहित किए हुए है।

जिस भारत के वीर पुत्रों का साहस कारगिल विजय की सफलता का निर्माण करता है, वही भारत आज 100 से अधिक देशों को कोरोना वैक्सीन देकर “अहर्निशं सेवामहे” के भाव का अटल प्रारूप बन गया है।

दुनिया का भारत की शक्ति से परिचय कराने वाला भारत, अमेरिका जैसे विकासशील देशों को कोरोना काल में अपनी मानवता से आच्छादित कर चुका है। ऐसा भारत होना तब संभव है जब नर में नारायण और नारी में दुर्गा को देखने का नजरिया रखा जाए।

युद्ध की संभावना में जी रहे देशों को कभी भारत का वीर अभिनंदन परास्त कर देता आया है, तो कभी भाला फेंक कर भारत की क्षमताओं से परिचय कराने नीरज आया है।परंतु यह सब क्रियाएँ सिर्फ भारत की शान को समर्पित कर देने के भाव का उद्गम समागम है।

आज, आजादी का अमृत महोत्सव हम सभी को इन संकल्पित अभियुक्तों का गौरव बढ़ाने का अवसर प्रदान कर रहा। यह महोत्सव आजादी के बाद पहली बार जन जागरण की चेतना का प्रारूप बनकर हर भारतवासी को भारतीय होने के गौरव से परिपूर्ण कर रहा है।

आइए.. भारत की वैचारिकता यात्रा का परिचय एक बार फिर दुनिया के समक्ष रखने का प्रयास करें। आजादी के अमृत महोत्सव पर हर घर तिरंगा फहरा कर भारत को आत्मनिर्भर भारत की संकल्पना का प्रत्यक्ष प्रमाण प्रदान करें।

11 से 17 अगस्त तक मनाए जा रहे हर घर तिरंगा अभियान में प्रतिभाग करें और “मैं भी भारतीय” की अवधारणा को जीने का प्रयास करें।

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